Brief Summary in Hindi (Ch. 5 Indigo ), Class -12th, Subject - English, HBSE, CBSE

आओ चैप्टर को हिंदी में समझे

5. Indigo (Louis Fischer)


इस चैप्टर में गांधी द्वारा चंपारण के गरीब किसानों की मदद के लिए किये गए संघर्ष का वर्णन किया गया है ।

1916 में जब महात्मा गांधी Indian  National Congress के वार्षिक अधिवेशन में शामिल होने के लिए लखनऊ गए हुए थे।

उस दौरान वहाँ राजकुमार नाम का गरीब किसान चंपारण के गरीब किसानों की मदद करने के लिए गांधीजी को लेने आया हुआ था ।

वह गांधी जी के साथ साथ उनके हर कार्यक्रम में जाता रहा जब तक गांधी जी उनके साथ चलने के लिए तैयार नहीं हो गए।

अंत में जब गांधीजी जाने के लिए तैयार हुए। तब दोनों ने कलकत्ता से पटना (बिहार) के लिए ट्रेन पकड़ी। गांधीजी वहां राजेन्द्र प्रसाद (जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने) के घर रुके।

गांधीजी को पता चला कि वहां के किसानो को 15 प्रतिशत जमीन पर नील की खेती करनी पड़ती है और उस पूरी फसल को ऋण के तौर पर जमीदारों को देना होता था। 

1917 तक जर्मनी ने कृत्रिम नील विकसित कर ली थी । इसलिए अब उन्हें यहां के किसानों के द्वारा उगाई गई नील की जरूरत नही थी।

इसलिए उन्होंने काश्तकारो से एक समझौता किया जिसके अनुसार उन्हें नील की खेती न उगाने के बदले सरकार को मुआवजा देना होगा।

कुछ अनपढ़ किसान इसके लिए राजी हो गए परंतु कुछ ने मुआवजा देने से मना कर दिया।

एक साल तक गांधी जी गरीब किसानों के हकों के लिये एक लंबी लड़ाई लड़ते रहे । 

इस बारे में गांधी जी वहां के कई प्रसिद्ध वकीलों से भी मिले जैसे राजेन्द्र प्रसाद, ब्रिज किशोर बाबू, मौलाना मजहरुल हग और अन्य।

अंत में, गांधी जी के संघर्ष के कारण गरीब किसानों को न्याय मिला और लगान की प्रथा खत्म हुई।

इस दौरान उन्होंने अपने अहमदाबाद स्थित आश्रम के काम काज पर भी निगरानी रखी।

गांधी जी ने वहां के किसानों की अन्य समस्याओं को भी दूर करने के लिए काम किया जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि।

गांधी जी ने लोगों को आत्मनिर्भर बनने व दूसरों पर निर्भर न रहने का पाठ भी उन्हें सिखाया।